Press "Enter" to skip to content

ई कॉमर्स पोर्टलों की मनमानी के खिलाफ कैट ने छेड़ा निर्णायक युद्ध

  • *कल से देश भर में 40 दिनों का देशव्यापी आंदोलन होगा शुरू *

कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ई कॉमर्स कंपनियों की मनमानी और एफडीआई पालिसी का खुलेआम उल्लंघन करने के खिलाफ देश भर में 20 नवंबर 31 दिसंबर तक का 40 दिवसीय तीव्र आंदोलन छेड़ने की आज घोषणा की है ! कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज नई दिल्ली में आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा की इस आंदोलन का उद्देश्य उन ई कॉमर्स कंपनियों को बेनकाब करना है जो सरकार की नीतियों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं और देश के रिटेल व्यापार पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कब्ज़ा करने के मंसूबे पाले हुए हैं और ऐसे सभी मंसूबों को विफल करना है ! उन्होंने यह भी बताया की इस आंदोलन के द्वारा केंद्र सरकार से एक ई कॉमर्स पालिसी की तुरंत घोषणा करने, एक ई कॉमर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन तथा एफडीआई पालिसी के प्रेस नोट 2 की खामियों को दूर कर एक नया प्रेस नोट जारी करना भी है !

श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की बड़ी ई कॉमर्स कंपनियों ने लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, गहरे डिस्काउंट देना, सामान की इन्वेंट्री पर अपना नियंत्रण रखना, बड़े ब्रांड वाली कंपनियों से साठ- गाँठ कर उनके उत्पाद केवल अपने पोर्टलों पर ही बेचने जैसे व्यापारिक पध्दतियों से छोटे व्यापारियों का व्यापार बुरी तरह तबाह कर दिया है ! इस मामले पर अनेक बैंक भी इनके पोर्टल पर खरीदी करने पर अनेक प्रकार के कैश बैक एवं डिस्काउंट देकर इन कंपनियों के साथ अनैतिक गठबंधन में शरीक हैं ! यही नहीं बड़ी मात्रा में देश का डाटा इन कंपनियों को एक योजनाबाद तरीके से लीक किया जा रहा है ! इस सन्दर्भ में उदहारण देते हुए उन्होंने कहा की यदि किसी सरकारी योजना से कोई चीज़ बुक कराई जाती है तो तुरंत उस व्यक्ति के पास इन कंपनियों का मैसेज पहुँच जाता है जिससे साफ़ है की भारत के रिटेल बाजार को कब्ज़ा करने का एक सोचा समझा षड्यंत्र चल रहा है !

श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की यह ई कॉमर्स कंपनियां आर्थिक आतंकवादी है और भारत के अर्थ तंत्र पर अपना आतंकवाद हावी करना चाहता है जिसका पुरजोर विरोध सारे देश में किया जाएगा ! उन्होंने यह भी कहा की ये कंपनियां ईस्ट इंडिया कम्पनी का ही दूसरफ़ा संस्करण है जो भारत के बाजार के सहारे देश को आर्थिक गुलामी की ओर ले जाना चाहतगी हैं ! देश का व्यापारी अब चुप नहीं बैठने वाला और सड़कों पर आ कर इन कंपनियों का खुला विरोध करेगा और मकड़े शब्दों में सरकार से मांग करेगा की अब सरकार चुप बैठकर इन कंपनियों की और अधिक मदद नहीं करे और सीधे तौर पर नीति के उल्लंघन और इन कंपनियों के कामकाज के तरीके पर इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे !

श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने यह भी कहा की अब देश का रिटेल व्यापारी अपने अधिकारों का यू खुलेआम हनन होते नही देख सकता।और अपने हक के लिए हम हर क़ीमत चुकाने को तैयार है। अब देश भर में इन कंपनियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन होंगे और वर्चुअल और प्रत्यक्ष व्यापारी सम्मेलनों में व्यापारी हिस्सा लेकर इस मामले पर अपनी नाराजगी का जोरदार इजहार करेंगे और न केवल केंद्र सरकार बल्कि सभी राज्य सरकारों से भी इन कंपनियों को अपने राज्य में माल न बेचे जाने की मांग करेंगे ।देश का हर व्यापारी इस आंदोलन में हिस्सा लेगा और इस बात का साक्षी पूरा देश होगा कि देश के व्यपारियो को लगातार नज़रअंदाज़ का परिणाम क्या होता है।

श्री भारतीय और खंडेलवाल का कहना है कि देश के 7 करोड़ छोटे बड़े व्यापार से 40 करोड़ लोगों रोजगार मिलता है जिसको यू उपेक्षित नही किया जा सकता। उन्होंने कहा हम लगातार सरकार से एक ठोस ई कॉमर्स पालिसी की मांग कर रहे है। हम कई बार सरकार को पत्र भेजकर एफडीआई पालिसी 2017 और एफडीआई पालिसी 2018 के प्रेस नोट न. 2 के विदेशी कंपनियों द्वारा खुलेआम हो रहे उलंघन की तरफ ध्यान आकर्षित कर उन पर त्वरित कार्यवाई की मांग कर चुके है। मौजूदा एफडीआई पालिसी के उपनियम न केवल मल्टी ब्रांड रिटेल में किसी भी प्रकार की विदेशी कंपनी को निवेश की मंजूरी नही देते है, बल्कि किसी भी विदेशी कंपनी अथवा विदेशी स्वामित्व वाली ई कॉमर्स कंपनी को भारतीय ई कॉमर्स मंच पर विक्रेताओ की इनवेंटरी को नियंत्रित करने की इज्जाजत भी नही देतें है। हालांकि इस बात के साफ संकेत मिल रहे है कि कई बड़ी विदेशी ई कॉमर्स कंपनियां जैसे कि अमेज़न पैंट्री, क्लाउडटेल पैंट्री इत्यादि सीधे तौर ग्रोसरी रिटेल से जुड़ी “इन्वेंटरी आधारित ई कॉमर्स मॉडल” को न केवल नियंत्रित कर रही है बल्कि उनमे निवेश भी कर रही है। देश की एफडीआई पालिसी का खुलेआम हो रहा ये अनादर कैट को हरगिज़ मंजूर नही है और यही कारण है कि कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल एवं अन्य लोगों से इस विषय मे उचित कदम उठाने का अनुरोध भी किया है।