नई दिल्ली। फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाईजेशन फियो के नवनियुक्त अध्यक्ष ड़ा.ए.सक्थिवेल का कहना है कि उद्योग और सरकार दोनों को अपने विपणन बजट को बढाना चाहिये क्योंकि निर्यात के लिए प्रदर्शन काफी अहम है। उन्होंने सरकार से मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव फंड्स को वर्तमान 200 करोड़ रुपये से बढ़ाने का अनुरोध करने के साथसाथ आईईएस योजना को 31 मार्च 2024 तक करने की मांग की।
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाईजेशन फियो के नवनियुक्त अध्यक्ष ड़ा.ए.सक्थिवेल ने आज पत्रकारों से वार्ता करते हुए निर्यातकों के सामने उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि महामारी के प्रकोप के बाद सामान्य रूप से अपनी अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से निर्यात के लिए ज्यादा तेज वापसी की उम्मीद है। उन्होने कहा कि सरकार का वर्तमान वित्त वर्ष में 400 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य है। यह कुछ ज्यादा महत्वाकांक्षी लगता है, लेकिन यह निश्चित रूप से हासिल करने योग्य है। उद्योग और सरकार को इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए भागीदार बनना चाहिए। अप्रैल और मई, 2021 महीनों में निर्यात में शानदार बढ़ोतरी से खासा प्रोत्साहन मिला है, लेकिन यह गति बरकरार रखनी है।
उन्होंने कहा कि इतने बड़े लक्ष्य के लिए आक्रामक विपणन रणनीति और नए बाजारों में प्रवेश की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि मेरी प्राथमिकता निर्यात को प्रोत्साहन देने की रहेगी। मैं नए बाजारों और नए उत्पादों की पहचान के लिए एक निर्यात संवर्धन इकाई तैयार करूंगा। इस क्रम में, मैं उत्पाद विकास और निर्यात संवर्धन के लिए सभी परिषदों के साथ सामंजस्य कायम करूंगा।
उन्होंने कहा कि भले ही महामारी वैश्विक स्तर पर शांत होने में कुछ ज्यादा समय ले सकती है, लेकिन हमें वर्चुअल समारोह व प्रदर्शनियों के माध्यम से आगे बढ़ते रहना है और हालात में सुधार के साथ तेजी से भौतिक रूपसे सामने आना है। एक फिजिकल शो की तुलना वर्चुअल कार्यक्रम में भागीदारी 10-15 प्रतिशत तक किफायती पड़ती है और यह आदर्श रूप में एमएसएमई के अनुकूल है। मैं अपने सदस्यों के उत्पादों के प्रदर्शन और नए देशों व नए उत्पादों पर जोर देते हुए निर्यात संवर्धन के लिए फियो के भीतर एक वर्चुअल प्लेटफॉर्म विकसित करूंगा।
उन्होंने बताया कि वह सभी दूतावासों के साथ प्रत्यक्ष संवाद करने के साथ साथ भारतीय उत्पादों/सेवाओं कोउनके क्षेत्र में बेचने में उनकी सेवाओं का इस्तेमाल करेंगे। सभी अंतर्राष्ट्रीय मेलों में वर्चुअल माध्यम से भागीदारी का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने उद्योग और सरकार दोनों से अपने विपणन बजट बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा कि निर्यात के लिए प्रदर्शन काफी अहम है। उन्होंने सरकार से मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव फंड्स को वर्तमान 200 करोड़ रुपये से बढ़ाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक रूप से, अगले पांच साल में कुल निर्यात को 1 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर ले जाने के उद्देश्य से विपणन के लिए कम से कम 1,000 करोड़ रुपये के वार्षिक बजट के साथ एक योजना लागू की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि विपणन के लिए हमारे व्यापारिक भागीदारों: अमेरिका, यूके और ईयू के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, इजरायल आदि के साथ एफटीए हो सकते हैं। इन एफटीए से विशेष रूप से भारतीय बाजारों और निर्यात दोनों पर विचार कर रही इकाइयों से एफडीआई आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि वियतनाम की निवेश आकर्षित करने और इकाइयों को स्थानांतरित कराने में सफलता की एक प्रमुख वजह बाकी दुनिया के साथ उसके प्रभावी एफटीए हैं। यह बेहद उत्साहजनक है कि सरकार इस दिशा में कई व्यापारिक भागीदारों के साथ मिलकर आगे बढ़ रही है। हमें भरोसा है कि उद्योग ऐसे विचार विमर्श में सक्रिय भूमिका निभाएगा और हमारे वार्ताकारों को जरूरी सहयोग प्रदान करेगा।
डा. सक्थिवेल ने कहा कि निर्यात के कई पारम्परिक क्षेत्रों ने विकासशील देशों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ अतीत में देश ने अच्छा प्रदर्शन किया है। हमें इस प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार फैक्टर्स को समझने, उद्योग के साथ जुड़ाव और समाधान के लिए इन्हें सरकार के सामने रखने की जरूरत है, क्योंकि ये क्षेत्र रोजगार सृजन के लिहाज से अहम हैं।
उन्होंने कहा कि कृषि निर्यात और इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, फार्मा, नेटवर्किंग उत्पादों जैसे उदीयमान क्षेत्रों में बढ़ोतरी अभूतपूर्व है और हमें इन्हें प्रोत्साहन देने की जरूरत है। चीन से खाद्य उत्पादों के आयात पर देशों की आपत्ति और भारत के जैविक व मूल्य वर्धित निर्यातों पर जोर से किसानों और निर्यातकों दोनों को हमारे कृषि निर्यात का लाभ हासिल करने में मदद मिलेगी। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना से उदीयमान क्षेत्रों को मदद मिलेगी, क्योंकि निवेश बढ़ना शुरू हो गया है। हम अपने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अगले 2-3 साल में देश में एक उत्पादन आधार विकसित करेंगे।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और सबसे ज्यादा कैपिटल इम्प्लॉयमेंट रेश्यो उपलब्ध कराते हैं। निर्यात में उनकी हिस्सेदारी बढ़ रही है। हमें विशेष रूप से इन्हें बढ़ावा देने की जरूरत है, क्योंकि महामारी से इन्हें काफी मुश्किलें हुई हैं। वहीं, विभिन्न सरकारी सहायता सही समय पर दी गई थीं, कुछ को हमारे महामारी से पूरी तरह उबरने तक और अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने तक जारी रहनी चाहिए।
उन्होंने सेवा निर्यात को प्रोत्साहन देने पर विशेष ध्यान देने की बात की। उन्होंने कहा कि हमारा सेवा निर्यात इस महामारी के बीच भी उत्साहजनक रहा, क्योंकि डिजिटलीकरण से आईटीएंडआईटीईएस को खासी मदद मिली। सॉफ्टवेयर में अपनी मौजूदा स्थिति को बनाए रखते हुए, हमें अन्य सेवाओं को प्रोत्साहन देने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चिह्नित 12 चैम्पियन क्षेत्रों को आगे बढ़ने के लिए एक सक्षम इकोसिस्टम की जरूरत है और फियो इस दिशा में सरकार के साथ मिलकर काम करेगा। महामारी के सबसे ज्यादा समस्याओं को सामना करने के कारण हमारे हॉस्पिटैलिटी और एविएशन सेक्टर को ज्यादा मदद की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हम निर्यात को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों को शामिल करते हुए एक व्यापक नोट जारी कर चुके हैं और आपके माध्यम से इसे बढ़ाया गया था। हम इनकी ओर सरकार का ध्यान खींचना चाहेंगे। हम कोविड के दौरान स्वास्थ्य और स्वास्थ्य से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर तथा राजस्व में गिरावट के बावजूद सरकार द्वारा उद्योग और उद्यमों को दिए गए सहयोग की सराहना करते हैं। हमें लगता है कि निर्यात एक राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए और सभी हितधारकों को इस दिशा में मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फियो इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेगी।