- गरीबों को सस्ती दवाएं उपलब्ध करा रहे हैं पीएम जनऔषधि केन्द्र
- पीएम जनऔषधि केन्द्रों पर एक माह में हुई 80 करोड़ की बिक्री
- सस्ती दवाओं से लोगों को हुई लगभग 500 करोड़ की बचत
- कुल 7733 जनऔषधि केन्द्रों पर उपलब्ध हैं 1449 तरह की दवाएं व 214 तरह के चिकित्सा उपकरण
नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना संकट के इस दौर में जहां एक ओर देश भर में दवाओं की कमी है और कालाबाजारी हो रही है तो वहीं दूसरी ओर केन्द्र सरकार की ओर से खोले गये प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केन्द्र संकट में गरीबों के लिये बड़े मददगार साबित हो रहे हैं। इन केन्द्रों पर ना केवल 1449 तरह की दवाएं व 24 तरह के चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हैं बल्कि बाजार मूल्य से काफी सस्ती कीमत पर मिल रहे हैं। पिछले दो माह में ही जनऔषधि केन्द्रों पर हुई बिक्री से आम जनता की 50 करोड़ की बचत हुई है।
केन्द्रीय उर्वरक व रसायन मंत्रालय द्वारा देश भर में खोले गये प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केन्द्रों की भूमिका वैश्विक महामारी कोरोना के संकट काल में अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। देश की जनता को सस्ती कीमत पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिये इन केन्द्रों के साथ ब्यूरो आफ फार्मा तथा कई अन्य वितरक भी साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। देश भर में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केन्द्रों की संख्या 7733 हैं और इन सभी केन्द्रों पर 1449 तरह की दवाएं और 214 तरह के सॢजकल व चिकित्सीय उपकरण उपलब्ध हैं। इसके अलावा कोरोना से लडऩे में प्रयोग होने वाली आवश्यक दवाएं, एन—95 फेस मास्क और सैनिटाइज़र बहुत ही सस्ती कीमत पर मिल रहे हैं। एन 95 फेसमास्क इन केन्द्रों पर मात्र 25 रुपये प्रति पीस की दर पर उपलब्ध है।
कोरोना संकट काल में इन औषधि केन्द्रों पर बड़ी संख्या में लोग दवाएं लेने पहुंच रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष के पहले एक माह में ही इन केन्द्रों पर 80.18 करोड़ रुपये की बिक्री हुई है, इन केन्द्रों पर दवाएं सस्ती होने के कारण नाागरिकों को लगभग 50 करोड़ की बचत हुई है। देश भर के सभी केन्द्रों पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिये गुरु ग्राम, गुवाहाटी और चेन्नई में तीन आधुनिक गोदाम बनाये गये हैं और चौथा सूरत में निर्माणाधीन है। इसके अलावा, दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में दवाआें की आपूॢत के लिए देश भर में 37 वितरकों को नियुक्त किया गया है। इन केन्द्रों पर किसी भी दवा की कीमत उस दवा के शीर्ष तीन ब्रांडेड दवाओं के औसत मूल्य से 5 प्रतिशत कम तो होती ही है कुछ ब्रांडेड दवाओं के बाजार मूल्य से 80 से 90 प्रतिशत सस्ती दवाएं यहां मिलती हैं, यही कारण है कि लोग बड़ी संख्या में इन केन्द्रों में पहुंच रहे हैं।
वित्तीय वर्ष 2220—21 में इन केन्द्रों ने 665.83 करोड़ का कारोबार किया था, दवाएं सस्ती होने के कारण इस बिक्री से आम लोगों को लगभग 40 करोड़ रुपये की बजट हुई। कोरोना संकट के दौर में इन केन्द्रों में फेस मास्क, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, पैरासिटामोल और एजि़थ्रोमाइसिन दवाआें की मांग बढ़ी है। वर्ष 2021 में इन केन्द्रों से लगभग 25 लाख फेस मास्क, 1.25 लाख सैनिटाइज़र, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की 137 लाख टैबलेट और 323 लाख पैरासिटामोल टैबलेट की बिक्री सस्ती कीमत पर हुई है। इसके अलावा मित्र देशों को भी विदेश मंत्रालय के माध्यम से 3 करोड़ की दवाएं भेजी गई हैं।