- असम में अहोम सम्राज्य के अवशेष सुना रहे हैँ मध्य युगीन गाथा
असम से लौटकर संजय टुटेजा की रिपोर्ट
असम के चराईदेव जिले में स्थित अहोम कालीन मोईदाम में हर कदम पर अहोम सम्राज्य के ऐतिहासिक अवशेष नजर आते हैं। यूनेस्को द्वारा इसे वैश्विक विरासत का दर्जा दिए जाने के बाद, मोईदाम न केवल असमवासियों के लिए गर्व का विषय बन गया है, बल्कि यह स्थल विदेशी पर्यटकों के बीच भी आकर्षण का केंद्र बन गया है, जो यहां इतिहास को खंगालने आते हैं।
चराईदेव मोईदाम वह ऐतिहासिक स्थल है, जहां अहोम राजवंश के शाही परिवार के वंशजों को दफनाया जाता था। इन समाधियों को बड़े टीलों के आकार में बनाया गया है, जिन्हें मोईदाम कहा जाता है। हर मोईदाम में एक या अधिक कक्ष होते हैं, जिनके ऊपर गुम्बज़नुमा ढांचा होता है, जो मिट्टी से ढका होता है। बाहर से यह टीले जैसे नजर आते हैं। मोईदाम को एक अष्टमुखी दीवार से घेरा जाता है।
चराईदेव मोईदाम को वैश्विक विरासत का दर्जा मिलने के बाद, यहां भारतीय और विदेशी पर्यटकों की तादाद बढ़ी है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मार्ट के दौरान, जब पर्यटन क्षेत्र के विशेषज्ञ और विदेशी पर्यटक पर्यटन महानिदेशक श्रीमती मुग्धा सिन्हा के साथ मोईदाम का दौरा करने पहुंचे, तो वे यहां की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को जानकर हैरान रह गए।
अहोम राजवंश के संस्थापक, छो लुंग सुकफा ने 1253 में चराईदेव को अपनी राजधानी बनाया था। यह साम्राज्य 13वीं से 19वीं शताब्दी तक 600 वर्षों तक अस्तित्व में रहा। इस दौरान, जब भी शाही परिवार के किसी सदस्य का निधन होता था, उनका शव यहां दफन किया जाता था। हालांकि अहोम सम्राज्य अब अस्तित्व में नहीं है, फिर भी असमवासियों का भावनात्मक जुड़ाव अब भी इस सम्राज्य से कायम है, जिससे इस स्थल का ऐतिहासिक महत्व और बढ़ जाता है।
चराईदेव मोईदाम में कुल 90 मोईदाम हैं, जो गोलाकार टीलों के रूप में स्थित हैं। इनमें से कुछ छोटे हैं, जबकि कुछ बड़े हैं। इन टीलों के भीतर एक मंदिर के आकार का ढांचा होता है, जो ताई ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। यहां के टीलों में शाही व्यक्तियों के दफनाने या दाह संस्कार के अवशेष पाए गए हैं। पुरातत्व विभाग ने यहां से अहोम राजवंश के टीला-दफनाने की प्रणाली, शाही अंत्येष्टि वास्तुकला और रीति-रिवाजों के प्रमाण प्राप्त किए हैं, जो 600 वर्षों की सांस्कृतिक परंपराओं और मान्यताओं का जीवंत उदाहरण हैं।
पर्यटन महानिदेशक श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने कहा कि वैश्विक विरासत का दर्जा मिलने के बाद, मोईदाम को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली है, और अब यह असम में प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। स्थानीय लोग मोईदाम को पवित्र दफन स्थल मानते हैं और यहां नियमित रूप से पूजा-अर्चना करते हैं, ताकि शाही परिवार की आत्मा की शांति बनी रहे।
साभार राष्ट्रीय सहारा