झारखंड में पूर्वी क्षेत्र कृषि मेले का केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने किया शुभारंभ
किसानों के लिए लाभदायक होगा किसान मेला, इसकी सार्थकता खेतों में नजर आएगी- कृषि मंत्री
खूंटी (झारखंड)/नई दिल्ली, 3 फरवरी 2024, खूंटी (झारखंड) में पूर्वी क्षेत्र कृषि मेले का शुभारंभ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने किया। इस मौके पर श्री मुंडा ने कहा कि यह मेला देश के पूर्वी क्षेत्र के किसानों के लिए काफी लाभदायक होगा, जिसकी सार्थकता खेतों में नजर आएगी। केंद्र सरकार की कोशिश है कि हर राज्य खेती में आत्मनिर्भर बनें औरहमारे किसानों की आय बढ़े। किसानों को गर्व से यह कहने का मौका मिले कि हम किसी के मोहताज नहीं हैं, बल्कि हम मजबूत हैं और हमारे माध्यम से हमारा देश भी सशक्त है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान, रांची के तत्वावधान में कृषि विज्ञान केंद्र, तोरपा, खूंटी में आयोजित इस मेले में पूर्वी राज्यों के हजारों किसान शामिल हुए हैं। यहां मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में किसानों को परंपरागत खेती के साथ तकनीक से कैसे जोड़ा जाएं, उनकी आय बढ़ाते हुए उन्हें आत्मनिर्भर कैसे बनाएं, कृषि संबंधी विभिन्न मुद्दों का समाधान कैसे हो, इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इस वृहद मेले का आयोजन किया गया है। श्री मुंडा ने कहा कि आज हम इस अवस्था में हैं कि अपनी खाद्यान्न जरूरतों को पूरा कर सकें, लेकिन हमें भविष्य के लिए भी तैयारी करना है, क्योंकि भूमि सीमित है व आबादी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जा रहा है। गुणवत्ताव पोषणयुक्त उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रबंधन व गवर्नेंस के माध्यम से कोशिश की जा रही है। विज्ञान व तकनीकी को जोड़ते हुए परंपरागत और पोषक तत्वों की उपलब्धता वाली खेती को बढ़ाकर किसानों के जीवन में खुशहाली व आत्मनिर्भरता की दिशा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय लगातार कार्य कर रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान व परिषद तथा मंत्रालय के माध्यम से नवाचारों के साथ किसानों को जोड़ा जा रहा है, ताकि लागत घटे, उत्पादकता बढ़े व नुकसान कम हो। साथ ही हमारा लक्ष्य पूरा हो सकें। उन्होंने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में काम तो हो रहे हैं, लेकिन गतिशीलता बनाए रखने की जरूरत है। किसान अपने कल्चर व ट्रेडिशन के साथ विकास से जुड़ सकें, यह ध्यान रखा जाना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास-सबका प्रयास के मंत्र के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वी क्षेत्र में जनजातीय समाज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गत 15 नवंबर को यहां प्रधानमंत्री श्री मोदी आए थे, तब उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की माटी से देश का आह्वान किया था कि हम उन लोगों तक व उन घरों तक पहुंचे, जहां आज तक नहीं पहुंच सके हैं। इस संकल्प को पूरा करने में यह मेला सार्थक हो सके, हमें यह सिद्ध करना है। देश का कोई भी हिस्सा जब पीछे रहता है, तो देश पीछे रह जाता है। यहां लाख उत्पादन बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। विश्वजैविक खेती की तरफ लौट रहा है। टिकाऊ खेती व उत्पादन बढ़ाने पर दुनिया चिंता कर रही है। जलवायु परिवर्तन, कार्बन उत्सर्जन को लेकर चिंता हो रही है। भारत के लिए तो खेती रीढ़ की तरह है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति की चिंता करें व जल प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए भी काम करने की जरूरत है। इसके साथ ही भविष्य की जरूरतों के हिसाब से उत्पादन बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए। गेहूं और चावल में हम आत्मनिर्भर बने है, अब तूर दाल में भी यहीं लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने विशेष पोर्टल लांच करते हुए योजनाबद्ध ढंग से इस दिशा में तेजी से कार्य प्रारंभ किया है। केंद्र सरकार राज्यों के माध्यम से कृषि व किसानों के विकास के लिएअनेक योजनाएं चला रही है।
कार्यक्रम में लोक सभा के पूर्व उपाध्यक्ष पद्म भूषण श्री करिया मुंडा, विधायक श्री कोचे मुंडा, पूर्व सांसद डॉ. रवींद्र राय, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक आदि मौजूद थे। 5 फरवरी को समापन सत्र में झारखंड के राज्यपाल श्री सी.पी. राधाकृष्णन मुख्य अतिथि होंगे। मेले में लगभग डेढ़ सौ स्टाल लगाए गए हैं। श्री मुंडा के साथ ही बड़ी संख्या में किसानों ने इनका अवलोकन किया व कृषि संबंधी नवाचारों की जानकारी ली। मेले में सैकड़ों किसानों को लगभग 40 लाख रू. मूल्य के कृषि उपकरण व अन्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है। निदेशक डॉ. अभिजीत कर ने स्वागत भाषण दिया। मेले में कृषिसंबंधी विषयों (उन्नत कृषि पद्धति, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, लाख व तसर उत्पादन आदि) पर गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है, वहीं प्रगतिशील कृषकों वं उद्यमियों को कई श्रेणियों में पुरस्कार भी दिए गए। टाटा ट्रस्ट द्वारा स्वास्थ्य जांच शिविर का भी आयोजन किया गया है। इस मेले की थीम है-सतत् एवं चक्रीय जैव-अर्थव्यवस्थाः आत्मनिर्भर व विकसित भारत का उत्प्रेरक।