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“यू ही साथ साथ चलते” काव्य, संगीत व नाट्य का अनूठा प्रयोग

श्रुति शैली में हुई प्रस्तुति से भाव विभोर हुए दर्शक

नई दिल्ली। प्रख्यात लेखक, साहित्यकार, कवि व अभिनेता दंपत्ति डॉ सच्चिदानंद जोशी व श्रीमती मालविका जोशी लिखित व अभिनीत प्रस्तुति “यू ही साथ चलते चलते” ने आज दर्शकों को रोमांचित व भाव विभोर कर दिया। श्रुति शैली में मंचित यह प्रस्तुति संगीत, काव्य व नाट्य का ऐसा अनूठा प्रयोग था जिसने इस प्रस्तुति को यादगार बना दिया।

 इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के कमलादेवी बहुद्देश्यीय सभागार में दुष्यंत जोशी के  निर्देशन में मंचित यह प्रस्तुति डॉ  सच्चिदानंद जोशी व श्रीमती मालविका जोशी द्वारा लिखित काव्य संग्रह “यूं ही साथ चलते चलते” पर आधारित थी और यही दोनों इस नाट्य प्रस्तुति के मुख्य पात्र तो थे ही साथ ही पात्रों की भूमिका में भी वह स्वय ही थे। इस प्रस्तुति में जोशी दंपति ने पति पत्नी के आपसी रिश्तों , अंतर्मन में छुपे जज्बातों, रिश्तों की मिठास, संस्मरणों, सपनों, कल्पनाओं, चुलबुलाहट व नोंकझोंक को जीवंत अभिनय से प्रस्तूत किया।

 लगभग डेढ़ घण्टे की प्रस्तुति में दर्शक पूरा समय ” यू ही साथ चलते चलते” के सम्मोहन की धारा में लीन हो गए। किसी काव्य संग्रह को संगीतमय नाटक के रूप में मंचित करने के इस प्रयोग की खासियत यह रही कि एक ही प्रस्तुति में दर्शक  काव्य, संगीत व नाट्य कला की त्रिवेणी में बार बार डुबकी लगाते रहे। संगीतकार आनन्द जीत गोस्वामी के संगीत ने काव्य संग्रह की कविताओं को संगीत देकर प्रस्तुति को ऊंचाई प्रदान की। दिब्यम व  शुर्ति अग्निहोत्री ने अपनी आवाज से प्रस्तुति को आकर्षक बनाया.