वित्त वर्ष 24-25 की पहली तिमाही में जेम के ज़रिए ₹80,500 करोड़ मूल्य की सेवाओं की खरीदारी।
- इसी अवधि में केंद्र सरकार के निकायों द्वारा की गई खरीद ने ₹1 लाख करोड़ का आंकड़ा पार किया।
- “आभार कलेक्शन” का शुभारंभ, सरकारी कार्यक्रमों में उत्कृष्ट हस्तनिर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों में एक बड़ा कदम।
नई दिल्ली। गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (जेम) ने वित्त वर्ष 24-25 की पहली तिमाही के अंत में ₹1,24,761 लाख करोड़ का सकल व्यापारिक मूल्य (जीएमवी) दर्ज किया है, जो पिछले साल के 52,670 करोड़ रुपये के जीएमवी की तुलना में 136% की वृद्धि को दर्शाता है। सार्वजिनक खरीद के परिदृश्य में दक्षता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ 2016 में शुरु किये गये जेम ने पहले की खंडित प्रणाली को एक सुसंगत वन-स्टॉप-सोल्यूशन में बदल दिया है, जिसे प्रशासन के सभी स्तरों पर सरकारी खरीदारों और अखिल भारतीय विक्रेताओं/ सेवा प्रदाताओं द्वारा व्यापक रूप से अपनाया गया है।
वित्त वर्ष 24-25 की पहली तिमाही में सेवा क्षेत्र प्रमुख रहा है, जिसने 80,500 करोड़ रुपये से अधिक का जीएमवी दर्ज किया, जो वित्त वर्ष 23-24 की इसी अवधि की तुलना में 330% की वृद्धि को दर्शाता है।
इसी अवधि में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) सहित केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा खरीद ₹1 लाख करोड़ को पार कर गई, जिसमें कोयला, रक्षा और पेट्रोलियम एवं गैस मंत्रालय इस तिमाही में शीर्ष खरीददार बनकर उभरे हैं। ₹1 लाख करोड़ जीएमवी में से ₹91,000 करोड़ से अधिक सीपीएसई द्वारा किया गया है।
जेम के सीईओ श्री प्रशांत कुमार सिंह ने बताया, “वित्त वर्ष 23-24 की पहली तिमाही में, केंद्र सरकार के निकायों द्वारा खरीद ₹42,500 करोड़ थी। इस वित्त वर्ष में उनकी खरीद में पर्याप्त वृद्धि देखी गई है। प्रमुख प्रतिभागियों के रूप में, केंद्रीय निकायों ने राष्ट्रीय विकास के लिए संसाधन आवंटन को अनुकूलित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए खरीद सुधारों को आगे बढ़ाना जारी रखा है।”- सिंह ने कहा, “पिछले वर्ष जेम पर विभिन्न राज्य सरकारों के संस्थाओं की भागीदारी को मुख्यधारा में लाने के लिए ठोस प्रयास किए गए थे। अंतिम पायदान के विक्रेताओं तक पहुंचने के अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए और सार्वजनिक खरीद को और सरल बनाने के उद्देश्य से, जेम ने ‘जेम सहायक’ कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य 6000 से 7000 प्रशिक्षित और प्रमाणित मान्यता प्राप्त प्रशिक्षकों का एक अखिल भारतीय नेटवर्क बनाना है, जो जेम प्लेटफार्म पर नेविगेट करने और व्यावसायिक अवसरों को बढ़ाने में संभावित और मौजूदा जेम विक्रेताओं को अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे। बिड्स के निर्माण और अन्य मूल्यवर्धित सेवाओं के संदर्भ में इन सहायकों की सेवाओं से खरीदारों को भी लाभ होगा।”
जेम पर व्यापार करने में आसानी को और सुविधाजनक बनाने के लिए जेम द्वारा की गई एक और बड़ी पहल के तहत विक्रेताओं पर लगाए जाने वाले लेनदेन शुल्क (ट्रांज़ैक्शन चार्जेज़) की मात्रा में भारी कमी की गई है। जेम की नई राजस्व नीति के अनुसार, 5 लाख रुपये से अधिक के ऑर्डर मूल्य वाले ऑर्डर पर विक्रेताओं/ सेवा प्रदाताओं को ऑर्डर मूल्य का केवल 0.30% (जो पहले 0.45% था) लिया जाएगा, और ये लेनदेन शुल्क अधिकतम 3 लाख रुपये तक सीमित होंगे, जबकि पहले 72.50 लाख रुपये को बदला गया है। वित्त वर्ष 23-24 के दौरान 5 लाख रुपये से कम की खरीद वाले लगभग 96.5% लेनदेन पर कोई लेनदेन शुल्क नहीं लगाया गया था। इस प्रकार जेम ने केवल 3.5% ऑर्डर में ही लेनदेन शुल्क लगाया। - सिंह ने ये भी बताया कि, “जेम प्लेटफॉर्म पर लगने वाले ट्रांज़ैक्शन चार्जेज़ में लगभग 33 से 96% की कमी से हमारे विक्रेताओं को बहुत लाभ होगा और इससे बाजार में उनकी पहुँच और अधिक प्रतिस्पर्धी बनने की संभावना है।”
जेम ने अपने #Vocalforlocal (वोकल फार लोकल) आउटलेट स्टोर मार्केटप्लेस के हिस्से के रूप में “आभार कलेक्शन” नाम से अपनी सिग्नेचर पहल की शुरुआत की है। आभार कलेक्शन में 120 से अधिक बेहतरीन और हाथ से तैयार किए गए उपहार आइटम और हैम्पर्स शामिल हैं, जिनमें वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) और ज्योग्राफिकल इंडिकेशन्स (जीआई) श्रेणियों के चुनिंदा उत्पाद शामिल हैं, जिनकी कीमत 500 रुपये से लेकर 25,000 रुपये तक है, जिनका इस्तेमाल सरकारी खरीदार अपने सभी आधिकारिक आयोजनों/ समारोहों आदि में कर सकते हैं।
जेम के सीईओ श्री प्रशांत कुमार सिंह ने कहा कि, “आभार कलेक्शन का शुभारंभ स्वदेशी कला और शिल्प के ज़रिए भारतीय विरासत और संस्कृति की समृद्ध झलक दिखाने तथा केंद्रीय और राज्य हस्तशिल्प और हथकरघा एम्पोरियम के नेटवर्क के माध्यम से हमारे वंचित विक्रेता समूहों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
इस वित्त वर्ष में जागरूकता, पहुंच और क्षमता निर्माण की पहल को और मजबूत किया गया और जेम ने दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DICCI), असम स्टार्टअप नेस्ट और नॉर्थ ईस्टर्न डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (NEDFi) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए और देश भर में खरीदारों और विक्रेताओं के लिए 320 से अधिक प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए। जेम के हाल ही में लॉन्च किए गए इंटरैक्टिव और बहुभाषी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में भी उल्लेखनीय उपयोगकर्ता पंजीकरण देखा गया, जिसमें लॉन्च के बाद से केवल चार महीनों के भीतर 1,172 खरीदारों और 3,393 विक्रेताओं ने पाठ्यक्रमों में अपना नामांकन किया।
अपने तकनीकी प्रयास को और मजबूत करते हुए, जेम अगली तिमाही में “GeMAI” नाम से जेनरेटिव AI (एआई)-आधारित चैट बॉट का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है। AI- टूल को विभिन्न शिकायत और प्रतिक्रिया देने वाले माध्यम से खरीदारों और विक्रेताओं द्वारा उठाए गए प्रश्नों के सूक्ष्म विश्लेषण के आधार पर समाधान प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। एक मजबूत AI-संचालित चैट बॉट बनाने के लिए जेनरेटिव AI का उपयोग करते हुए कन्वर्सेशनल एनालिटिक्स और बिज़नेस इंटेलीजेंस की भी मदद ली जा रही है। पोर्टल पर एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए जेम ने व्यापक निगरानी उपकरण का उपयोग करने की भी योजना बनाई गई है। इसके अलावा, जेम उपयोगकर्ताओं के पतों को जियो-टैग करने की एक परियोजना पर भी काम चल रहा है। यह परियोजना लघु उद्यमों, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की बिक्री जैसे लेन-देन के बारे में भौगोलिकी आधार पर सूचना प्रदान करेगी।
मात्रात्मक परिणामों के अलावा, जेम ने पारदर्शिता का बढ़ाव देने, भ्रष्टाचार के मौको को नगण्य करने, बाज़ार में छोटे पैमाने के विक्रेताओं की भागीदारी को बढ़ाने और समय के मामले में दक्षता में काफी सुधार करने जैसे गुणात्मक पहलुओं को काफी बढ़ाया है। पिछले वित्त वर्ष में किए गए बेहतरीन काम के आधार पर, वित्त वर्ष 24-25 की पहली तिमाही के अंत में जेम की उपलब्धियाँ सार्वजनिक खरीद बाज़ार में दक्षता, पारदर्शिता और समावेशिता के महत्वपूर्ण कारक के रूप में इसकी स्थिति को मजबूत करती हैं।